Sanju Manthan

क्या मानव जीवन में रिलिजन आवश्यक है ््््््््््


क्या मानव जीवन में रिलिजन आवश्यक है ््््््््््
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रिलिजन अर्थात मजहब की जीवन में क्या आवश्यकता  है प्रथम है जीवन की आवश्यकताओं में रिलिजन क्या महत्व रखता है दूसरा एक सुपर पावर की परिकल्पना जिसे मानव ने विभिन्न नाम दिए हैं खुदा गाड ईश्वर भगवान जैसे विभिन्न नाम
जहां तक मानव जीवन का प्रश्न है तो सब कुछ अ निश्चित है किस पल किस क्षण क्या हो जाए कुछ भी निश्चित नहीं भीषण दुखद समस्याओं से जूझ रहा मानव को एक बहुत बड़ा संबल होता है जिसके सहारे वह अपने कठिन समय को पार कर ले जाता है असहनीय दुख को भी सहन कर जाता है इसलिए जीवन की आवश्यकताओं में रिलिजन या मजहब  एक आवश्यकता है सामाजिक जीवन जीने के लिए एक नियम निर्धारित करता है उसी के अनुसार उस रिलिजन के माननेवाले बनाए गए नियम के अनुसार चलते हैं यह इसका सकारात्मक पक्ष है लेकिन  इतिहास गवाह है कि है कि दुनिया के भीषण नरसंहार युद्ध हिंसा यहां तक रिलिजन या मजहब के नाम पर महिलाओं बच्चों बुजुर्गों की हत्या  यहां तक रिलिजन के नाम पर बलात्कार तक होते हैं दुनिया भर में ऐसे अनगिनत उदाहरण है भारत इसका भुक्त भोगी रहा है। 700 ई से 1947 तक  भारत इसका भुगतान करता रहा वर्तमान में में इजरायल और फिलिस्तीन संघर्ष में रिलिजन का सहारा लिया जा रहा है हर बर्बरता जायज बनाने का आसान तरीका बनाया जाता है गजवा ए हिंद भी एक परिकल्पना है
मजहब अथवा रिलिजन  किसी महापुरुष द्वारा  मानव जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाने की व्यवस्था है
जहां तक पारलौकिक शक्ति या सुपरपावर का प्रश्न है तो यह एक प्रश्न है जिसकी खोज तलाश  रिसर्च की आवश्यकता है

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