मौत के बाद क्या ्््््््््््््
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सनातन धर्म के अनुसार मानव शरीर पांच तत्वों से बना है जिसमें जल वायु अग्नि पृथ्वी आकाश तत्वों से मानव शरीर का निर्माण होता है और मृत्यु के बाद यह सारे तत्व अपने-अपने तत्वों में मिल जाते हैं
लेकिन एक एनर्जी जिसे सनातन धर्म के अनुसार आत्मा कहा जाता है उसकी मृत्यु कभी नहीं होती वह अजर अमर होता है और जिस तरह कोई व्यक्ति पुराने वस्त्र को त्याग कर नए वर्षों को धारण करता है इस प्रकार आत्मा एक शरीर को त्याग कर दूसरे शरीर को ग्रहण करता है और यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है उसके जन्म का कारण उसके कर्म होते हैं कर्मों के अनुसार वह पुराने देह को त्याग कर नए शरीर को ग्रहण करता है जब उसके कर्म सत्कर्म में परिवर्तित होते हैं तो वह आवागमन के चक्र से मुक्ति पा जाता है प्रत्येक जीव जो शून्य होता है वह महा शून्य में विलीन हो जाता है या एक बूंद महासागर में विलीन हो जाता है यह सनातन धर्म की मान्यता है
व्यावहारिक रूप से यदि अवलोकन किया जाए तो मृत्यु के पश्चात शरीर तो होता है लेकिन कुछ ऐसा है जिसके निकलने के बाद व्यक्ति निर्जीव हो जाता है वह क्या है उसे क्या कहते हैं सब कुछ होने के बाद भी व्यक्ति निर्जीव हो जाता है तो कुछ तो है जिसके निकलने के बाद मानव निर्जीव हो जाता है जिसे मौत कहा जाता है यह एक रहस्य है एक प्रश्न है की मौत क्या है और मौत के बाद क्या होता है सनातन धर्म के अनुसार आत्मा की मृत्यु नहीं होती प्रत्येक जीव का एक जीवन चक्र होता है जो निरंतर चलता रहता है क्योंकि ब्रह्मांड रहस्यों से भरा हुआ है हम जिस सोलर पैनल में रह रहे हैं या जिस प्लानेट पर मानव जीवन आबाद है जिसे अर्थ या पृथ्वी कहा जाता है इसके ही रहस्य को हम नहीं जान पाए हैं विज्ञान ने खोज की है लेकिन वह भी अपर्याप्त है कुछ ऐसे प्रश्न है जिनका कोई उत्तर नहीं है जिसे तलाश करने की आवश्यकता है फिलहाल अभी तक यही मान्यता मानी जाती रही है और तर्क के आधार पर सच्चाई भी यही लगती है
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