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शासन के मंशानुरूप जनपद के सभी थानों में आयोजित किया गया थाना समाधान दिवस थाना पड़री में जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन एवं पुलिस अधीक्षक अभिनंदन ने आए हुए फरियादियों की सुनी जन समस्याएं वहीं थाना विंध्या

शासन के मंशानुरूप जनपद के सभी थानों में आयोजित किया गया थाना समाधान दिवस  थाना पड़री में जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन एवं पुलिस अधीक्षक अभिनंदन ने आए हुए फरियादियों की सुनी जन समस्याएं वहीं थाना विंध्याचल में भी फरियादियों की समस्याएं सुनते हुए क्षेत्राधिकारी एवं थाना विंध्याचल प्रभारी के द्वारा

................... ................... विंध्याचल - पिछड़ा वर्ग के उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष एवं दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री सोहनलाल श्रीमाली जी जन-जन से डोर टू डोर संपर्क कर रहे हैं मिल रहे हैं सोहनलाल श्रीमाली जी जब से अपने पद पर आसीन हुए हैं उसके पहले भी और उसके बाद भी जैसे पहले लोगों से मिलते थे उनकी परेशानियों को जानते थे आज भी उनका दिनचर्या वही है लोगों से मिलना उनकी परेशानियों को जानना उनकी परेशानियों का हल निकालना उसी क्रम में विंध्याचल वार्ड नंबर 13 के पूर्व सभासद पति संगम लाल त्रिपाठी जी से मुलाकात की संगम लाल त्रिपाठी जी एक समाजसेवी हैं जो की हर वर्ग की लिए सदैव तत्पर रहते हैं संगम लाल त्रिपाठी के साथ लव दुबे की उपस्थित रहे यह भी एक समाजसेवी हैं और समाज की पीड़ा को हमेशा प्रतिबिंब तक पहुंचाते हैं

................... गंगा जी में लगातार हो रही वृद्धि से अकोढ़ी बबुरा मार्ग रेलवे पुल प्रभावित हो रही है,

.............. ध्यान से देखो इस मानचित्र को, #लाल घेरे में सऊदी अरब का क्षेत्र हैं,जहां इस्लाम का उदय हुआ, और इस #हरे क्षेत्र को देखो, जो इस्लामिक देश हैं, आप चित्र में देख सकते हैं, कि बायीं तरफ के सभी देश इस्लामिक हो गए और दायीं तरफ का देश भारत #इस्लामिकरण से बचा रहा. अब बड़ा सवाल ? सिर्फ 90 साल में 45 देशों का #इस्लामिकरण करने वाली इस्लाम की तलवार, भारत आकर क्यों दम तोड़ गयी ? मौहम्मद साहब की मृत्यु के एक दशक के भीतर ही अरब हमलावरो ने तलवार के दम पर #ईरान, #ईराक, #सीरिया, #मिस्र और पुरे मध्य पूर्व एशिया का इस्लामीकरण कर दिया और जीतते हुए वो #स्पेन तक जा पहुंचे, आज से करीब 1400 साल पहले जब #मक्का से इंसानी खून की प्यासी इस्लाम की तलवार लपलपाते हुए निकली तो … एक झटके में ही ईरान..इराक #सीरिया ..#मिश्र ..#दमिश्क ..#अफगानिस्तान, #कतर .. #बलूचिस्तान से ले कर #मंगोलिया और #रूस तक ध्वस्त होते चले गए ..! और ये बात बिल्कुल सही भी साबित होती है कि जब इन #मुस्लिम आक्रमणकारियों ने सिर्फ 90 वर्षों में विश्व के 40 से ज्यादा देशों पर पूरा कब्जा कर लिया था . और उसके बाद जब वो #सिंध के रास्ते #भारत की तरफ बढ़े तो अगले 500 साल तक वो भारत मे घुस नही पाए और जब घुसे भी तो भी अंत समय तक उन्हें #क्षत्रियों के विरोध का सामना करना पड़ा . और इसका फल ये है रहा कि 1400 वर्ष बाद भी 1947 के समय में भी भारत मे 85% हिन्दू आबादी थी.. इस्लाम के प्रवेश के समय पूरे विश्व मे स्थानीय धर्मों परम्पराओं का लोप हो गया ।। शान से इस्लाम का झंडा आसमान चूमता हुआ अफगानिस्तान होते हुए सिंध के रास्ते हिंदुस्तान पहुंचा ..! पर यहां पहुंचते ही इस्लाम की लगाम आगे बढ़ के क्षत्रियों ने थाम ली ..। भीषण रक्तपात हुआ ..! 800 साल तक क्षत्रिय राजवंशों से ले के आम क्षत्रियों ने इस्लाम की नकेल ढीली न पड़ने दी ..! भारत ही ऐसा अकेला देश था जिसने उनका सफल प्रतिरोध किया. #सम्राट #हर्षवर्धन बैस की मृत्यु के बाद से ही अरब हमलावर भारत आने लगे थे, 640 ईसवी के आसपास पहली बार खलीफा के आदेश पर ठाणे , भरूच और देवल में उनकी टुकड़ियां आई पर विफल रही। तब से लेकर सन् 1192 तक भारत के वीरों ने इस्लामिक हमलावरो का लगातार 500 वर्ष से अधिक समय तक सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया। वीर #बप्पा रावल, #नागभट्ट परिहार , #नागवंशी कर्कोटक ललितादित्य आदि राजपूत राजाओं ने अरबों को दूर तक मार लगाई। इस 500 -600 साल के कड़े संघर्ष को इतिहासकारों ने राजपूत काल भी कहा है . बाद में तुर्को के समय आपसी मतभेदों के कारण भारत में इस्लामिक सत्ता स्थापित तो हुई मगर वो निरन्तर प्रतिरोध के कारण अंग्रेजो के आने तक भारत का 10% भी इस्लामीकरण नही कर पाए थे। इस बात को खुद मुस्लिम इतिहासकार स्वीकार करते हैं कि भारतवर्ष अकेला देश है जिसने सफलतापूर्वक अपनी संस्कृति की रक्षा की। मौलाना “हाली” के शब्दों में इसकी पीड़ा देखिये—– “वह दीने-हिजाज़ी का बेबाक बेड़ा, निशां जिसका अक्साए-आलम में पहुँचा. मजाहम हुआ कोई खतरा न जिसका, न अम्मां में ठिठका, न कुल्जम में झिझका.. किये पै सिपर जिसने सातों समंदर वह डूबा दहाने में गंगा के आकर”…. यानी मौलाना हाली दुःख प्रकट करते हुए कहते हैं कि इस्लाम का जहाज़ी बेड़ा जो सातों समुद्र बेरोक-टोक पार करता गया और अजेय रहा, वह जब हिंदुस्थान पहुंचा और उसका सामना यहां के वीरो से हुआ तो वह इस्लामी बेड़ा गंगा की धारा में सदा के लिए डूब गया!! ठीक ऐसा ही दर्द अल्लामा इकबाल की शायरी “शिकवा” में भी मिलता है।। मुस्लिम इतिहासकार अचरज करते हैं कि जो इस्लाम का बेबाक बेड़ा जिब्राल्टर को पार करता हुआ स्पेन तक जा पहुंचा था और जिस मजहब ने अपने जन्म लेते ही 50 वर्ष के भीतर पूरे अरब, पश्चिम-मध्य एशिया और अफ्रीका के बड़े हिस्से का इस्लामीकरण तलवार के जोर पर कर दिया वो भारत मे क्यों सफल नही हो पाया ?? जौहर, शाका जैसी बलिदानी क्षत्रिय परम्पराओं ने इस देश में सनातनी संस्कृति को जीवित रखा। मुस्लिम इतिहासकार ऐसा लिखते है कि इस्लाम द्वारा भारत विजय का प्रारंभ मुहम्मद बिन कासिम के 712 AD में सिंध पर आक्रमण से हुआ और महमूद गजनवी के आक्रमणों से स्थापित, तथा मुहम्मद गौरी के द्वारा दिल्ली के प्रथ्वीराज चौहान को 1192 A.D. में हराने से पूर्ण हुआ ! फिर दिल्ली सल्तनत के गुलाम वंश, खिलजी, तुगलक, सैयद और लोदी वंश के सुल्तान और मुग़ल बादशाह हिंदुस्तान के शासक बताये गए ! यह इतिहास का सच नहीं हैं सच यह है कि य़ह 600 वर्षोँ तक चलने वाला राजपूत मुस्लिम युद्ध था ! जिसमे अंतिम विजय मराठा साम्राज्य, राजपूत और सिख साम्राज्य के रूप में हुयी और अब सच की विवेचना के लिए इनके बारे में कुछ तथ्य ! मुहम्मद बिन कासिम 712 AD में जब वह सिंध के राजा दाहिर को हराकर आगे बढ़ा उसे गहलोत वंश के राजा कालभोज ने बुरी तरह हराकर वापस भेजा ! अब अगले 250 वर्ष तक मुस्लिम प्रयास तो बहुत हुए पर पीछे धकेल दिए गए इस बीच भारत में राजपूत राज्य ही प्रभावी रहे ! 1000 AD से महमूद गजनवी के कथित सत्रह आक्रमणों में पांच हारे, और पांच मन्दिरों की लूट की, सबसे महत्वपूर्ण सोमनाथ की लूट की दौलत भी गजनी तक वापस नहीं ले जा पाया, जिसे सिन्ध मे लूट लिया गया था वह कही भी सत्ता स्थापित नहीं कर पाया ! इसके बाद अगले 150 वर्ष तक फिर कोई मुसलमान राजपूत सत्ता को चुनौती देने को नहीं आया और भारत में राजपूत राज्य प्रभावी बने रहे ! 1178 में मुहम्मद गौरी का गुजरात पर आक्रमण हुआ, चालुक्य राजा ने गौरी को बुरी तरह हराया ! 1191 में गौरी ने पृथ्वीराज को हराया फिर गौरी ने पंजाब, सिंध, दिल्ली, और कन्नौज जीते !पर ये विजयें अस्थायी रहीं क्योंकि 1192 में पृथ्वीराज ने भी गौरी को मार गिराए ! उसके बाद सत्ता में आया कुतुबुद्दीन ऐबक भी 1210 में लाहौर में ही मर गया और गौरी का जीता हुआ क्षेत्र बिखर गया ! उसके बाद इल्तुतमिश ने अजमेर, रणथम्मौर, ग्वालियर कालिंजर और महोबा जीते ! मगर कुछ समय में ही कालिंजर चंदेलों ने, ग्वालियर को प्रतिहारों ने, बूंदी को चौहानो ने मालवा को परमारों ने वापस ले लिया, रणथम्मौर, मथुरा पर राजपूत कब्ज़ा कर चुके थे ! गहलोत वंशी जैत्र सिंह ने इल्तुतमिश से चित्तौड़ वापस ले लिया इस प्रकार सत्ता राजपूतों के हाथ में ही रही थी ! उसके बाद बलबन ने राज्य बिखराव और राजपूत ज्वार रोकने में असफल रहा और सल्तनत सिमटकर दिल्ली के आसपास रह गयी थी ! गुलाम वंश को हटाकर खिलजी वंश आया, इस वंश के अलाउद्दीन खिलजी ने 1298 में गुजरात और 1303 मे चित्तौड़ जीत लिया ! पर 1316 में राजपूतों ने पुनः चित्तौड़ वापस जीत लिया, रणथम्मौर में भी खिलजी को हार का मुंह देखना पड़ा था ! खिलजी के सेनापति मलिक काफूर ने देवगिरी, वारंगल, द्वारसमुद्र और मदुराई पर अभियान किया और जीता ! पर उसके वापस जाते ही इन राजाओं ने अपने को स्वतत्र घोषित कर दिया ! 1316 में खिलजी के मरने के बाद उसका राज्य ध्वस्त हो गया ! इसके बाद तुगलक वंश आया 1325 में मुहम्मद तुगलक ने देवगिरी और काम्पिली राज्य पर विजय और द्वारसमुद्र और मदुराई को शासन के अन्तर्गत लाया ! राजधानी दिल्ली से हटाकर देवगिरी ले गया ! पर मेवाड़ के महाराणा हम्मीर सिंह ने मुहम्मद तुगलक को बुरी तरह हराया और कैद कर लिया था ! फिर अजमेर, रणथम्मौर और नागौर पर आधिपत्य के साथ 50 लाख रुपये देने पर छोड़ा जिससे तुगलक राज्य दिल्ली तक सीमित रह गया और 1399 में तैमूर के आक्रमण से तुगलक राज्य पूरी तरह बिखर गया ! मुहम्मद तुगलक पर विजय के उपलक्ष्य में हम्मीर ने “महाराणा“ की उपाधि धारण की ! उसके बाद महाराणा कुम्भा द्वारा गुजरात के राजा कुतुबुद्दीन और मालवा के सुल्तान पर विजय ! इन विजयों के उपलक्ष्य में चित्तौड़ गढ़ मे विजय स्तम्भ और पूरे राजस्थान में 32 किले भी बनवाये ! महाराणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) ने मालवा के शासक को पराजित कर बंदी बनाया और छह महीने बाद छोड़ा ! 1519 में इब्राहीम लोदी को हराया ! इस प्रकार महाराणा हम्मीर से राणा सांगा तक 1326 से 1527 (200 वर्ष तक) उत्तर भारत के सबसे बड़े भूभाग पर राजपूत साम्राज्य छा रहा था और इन्हें चुनौती देने वाला कोई नहीं था ! इसी बीच दक्षिण में विजय नगर साम्राज्य क्षत्रिय शक्ति के रूप में केन्द्रित हो चूका था और कृष्ण देव राय (1505-1530) के समय चरम उत्कर्ष पर था और उड़ीसा ने भी क्षत्रिय स्वातंत्र्य पा लिया था ! तुगलकों के बाद सैयद वंश 1414 से 1451 तक और लोदी वंश 1451 से 1526 तक रहा जो दिल्ली के आस पास तक ही रह गया था ! इसके बाद फिर इब्राहीम लोदी को राणा सांगा ने हराया ! प्रमुख इतिहासकार आर सी मजूमदार लिखते है कि दिल्ली सल्तनत अलाउद्दीन खिलजी राज्य के 20 साल (1300-1320)और मुहम्मद तुगलक के 10 साल इन दो समय को छोड़कर भारत पर तुर्की का कोई साम्राज्य नहीं रहा था ! फिर मुग़ल वंश आया मुग़ल बाबर ने कुछ विजयें अपने नाम की पर कोई स्थायी साम्राज्य बनाने में असफल रहा, उसका बेटा हुमायु भी शेरशाह से हार कर भारत से बाहर भाग गया था ! शेर शाह (1540-1545) तक रणथम्मौर और अजमेर को जीता पर कालिंजर युद्ध के दौरान उसकी मौत हो गयी और उसका राज्य अस्थायी ही रहा ! फिर एक बार राजपूत राज्य सगठित हुए और दिल्ली की गद्दी पर राजा हेम चन्द्र ने 1556 में विक्रमादित्य की उपाधि धारण की ! 1556 में ही अकबर ने हेमचन्द्र (हेमू ) को हराकर मुग़ल साम्राज्य का स्थायी राज्य स्थापित किया जो 150 वर्ष तक चला जिसमे सभी दिशाओं राज्य विस्तार हुआ ! ये अधिकांश विजयें राजपूत सेनापतियों और उनकी सेनाओं द्वारा हासिल की गयीं जिनका श्रेय अकबर ने अकेले लिया ! अकबर ने इस्लामिक कट्टरता छोड़ राजपूतों की शक्ति को समझा और उन्हें सहयोगी बनाया ! जहाँगीर और शाहजहाँ के समय तक यही नीति चली, इन 100 वर्षों में मुसलमानों और राजपूत का संयुक्त और राजपूत शक्ति पर आश्रित राज्य था इस्लामी राज्य नहीं | पूरे मुग़ल राज्य के बीच भी मेवाड़ में राजपूतों की सत्ता कायम रही ! औरंगजेब ने जैसे ही अकबर की नीतियों के विपरीत इस्लामी नीतियां लागू करनी आरम्भ की राजपूतों ने अपने को स्वतन्त्र कर लिया ! उधर शिवा जी ने मुग़ल साम्राज्य की नीव खोद दी और 1707 तक मुग़ल राज्य का समापन हो गया उसके बाद के दिल्ली के बादशाह दयनीय स्थिति में कभी राजपूतों के, कभी अंग्रेजों के आश्रित रहे ! 1674 से 1818 तक मराठा साम्राज्य भारत थोड़ा छाया था, राजस्थान में राजपूत राज्य और पंजाब में सिख साम्राज्य राज्य के रूप में विजयी हुए | इन शक्तियों के द्वारा मुस्लिम सत्ता की पूर्ण पराजय और अंत हुआ ! इस पूरे विषम काल मे राजपूतों ने 712 ईसवी से ,बप्पा रावल के रूप से संघर्ष शुरू किया और 1000 वर्ष के लंबे संघर्ष के बाद 1600ईसवी में महाराणा प्रताप तक रक्तसंचित संघर्ष किया...1600 के बाद मराठा,सिख, व और साम्रज्यों की नींव पड़ी....जिन्होंने भी इस्लामिक शक्तियों से लोहा लिया...... इस प्रकार जिसे मुस्लिम साम्राज्य कहा जाता है वह वस्तुतः राजपूत राजाओं और मुसलमान आक्रमण कारियों के बीच एक लम्बे समय (1200 वर्ष) तक चलने वाला युद्ध था कुछ लड़ाइयाँ राजपूत हारे, कुछ में हराया और अंतिम जीत राजपूतों की ही रही !!

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