राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के मध्य हुआ 2024 का चुनाव ््््््््््
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राष्ट्र के अंदर और राष्ट्र की बाहर ऐसी अनगिनत ताकते रही जो किसी भी हाल में नहीं चाहती थी कि मोदी सरकार फिर से आए क्योंकि शक्तिशाली और मजबूत सरकार अंतरराष्ट्रीय शक्तियां नहीं चाहती थी सदियों से इतिहास गवाह रहा है कि देश पर जान लुटाने वालों की संख्या रही लेकिन राष्ट्र द्रोहियों की भी संख्या कम नहीं रही भारत में ऐसी ताकतों की अच्छी खासी संख्या रही है जिन्हें भारतीय संस्कृति भारतीय सभ्यता सनातन से देश के आजादी के बाद भी नफरत बनी रही जिसका समय-समय पर उन लोगों ने अपनी भावनाओं को प्रकट भी किया है लेकिन सनातनी हिंदू जिसके सर पर खतरे मंडरा रहे हैं फिर भी वह आंख मूंद कर सोया हुआ है
2024 के चुनाव में सबसे बड़ा कमाल फैजाबाद की सीट को हार जाना है जो एक यादगार इतिहास बनेगा जाति के कुचक्र में पूरी तरह से विभाजित हिंदू समाज के साथ इस तरह खेला गया कि वह भी एक इतिहास बन गया
कहते हैं प्रभुता भी एक खतरनाक नशा है जब वह सर पर चढ़ जाता है तो इंसान भगवान बनने का प्रयास करता है यही हाल जीते हुए माननीय सदस्यों का रहा है योगी और मोदी के नाम पर जीतने वाले नेता जनता से पूरी तरह दूरी बनाकर रखने का जो परिणाम मिलना चाहिए वह मिला 2024 के चुनाव में स्पष्ट कर दिया है कि अब मोदी के नाम पर निर्भर ना रहे कुछ काम भी करें
भारतीय जनता पार्टी को आत्म मंथन करने की जरूरत है दूसरी पार्टी से आए हुए लोग भी इस चुनाव में कम कामयाब हुए कहते हैं जो भी होता है अच्छा ही होता है यही मानकर चलना चाहिए
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