फिल्टर न्यूज़
विपक्ष का संसद उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार ्््््््््््
2024 के चुनाव में अपने ताकत की आजमाइश
कांग्रेश की अगुवाई में टीएमसी की ममता सहित 19 राजनीतिक दलों ने ऐतिहासिक कार्यक्रम में बहिष्कार की घोषणा की है इसका उन्हें क्या लाभ मिलेगा यह तो वही जाने लेकिन जहां तक भारतीय जन गण मन का प्रश्न है उसका मिजाज अलग ही है वह देख रहा है कि जिस तरह g7 के कार्यक्रम में मोदी का जलवा उसके बाद न्यू पावगीनी साहित कई देशों द्वारा दिया गया सम्मान ऑस्ट्रेलिया में वहां के प्रधानमंत्री द्वारा बॉस की उपाधि देना वंदे मातरम भारत माता की जय जैसे नारों से पूरी दुनिया में गूंज उठना एक अरब 40 करोड़ की जनता का गर्व से झूम उठना भारतीय होने पर गर्व महसूस होना यह सब विपक्ष को नहीं दिख रहा है उन्हें यह नहीं मालूम है की भारतीय जनता का मिजाज बदल गया है क्षेत्र भाषा जाति जैसे मुद्दों पर अब राजनीति नहीं की जा सकती पूरी तरह समाज परिवर्तित नहीं हुआ है लेकिन उसे अपने आप पर भारतीय होने का पहली बार गर्व महसूस हुआ है इसे लगभग 1947 से 60 वर्ष तक कोमा में रखा गया था वह सोया हुआ समाज अब अंगड़ाई लेने लगा है इसलिए को स्वघोषित लोकतंत्र के पहरेदार भारतीय संविधान के रक्षक सेकुलर जमात मोदी का विरोध करते करते राष्ट्र का विरोध करने लगे हैं अगर आपको इस ऐतिहासिक क्षणों का साक्षी नहीं बनना है तो संसद की सदस्यता से इस्तीफा भी तो दिया जा सकता है क्योंकि आपके अनुसार भारत में तानाशाही बढ़ गई है लोकतंत्र पर खतरा मंडरा रहा है संविधान पर खतरा मंडरा रहा है और आप लोग इसके रक्षक हैं लेकिन संसद की सदस्यता से इस्तीफा नहीं देंगे क्योंकि इस्तीफा देंगे तो मलाई कहां से खाएंगे हां कार्यक्रम में बहिष्कार करेंगे इससे कोई आपका नुकसान होने वाला नहीं है कांग्रेश का कर्नाटक में विजय के कई कारण है जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी का कुछ अपनी कमियां है जिसके कारण विकल्प ना होने के कारण कांग्रेस को वहां सत्ता हासिल हुई क्योंकि भाजपा सबका विश्वास हासिल करने का प्रयास कर रही थी जिसका विश्वास कभी भी हासिल नहीं हो सकता उसका विश्वास पाने का प्रयास कर रही थी यह भी कारण है ऐसे लोगों को मौका मिला उन्होंने मौके को भुनाया क्योंकि उनका एजेंडा भाजपा का शासन में रहने से 2047 का एजेंडा पूरा नहीं हो सकता था इसलिए उन्होंने ऐसे मौके को भुनाया फिलहाल यह कर्म छेत्र है जिसका जैसा कर्म होगा उसका भुगतान उसे भुगतना होगा राजस्थान में पाकिस्तान से सब कुछ लुटा कर आए हिंदू शरणार्थियों के साथ जो हुआ उसे पूरे भारत में देखा उसके बाद भी मुफ्त संस्कृति ने अपना काम किया इस देश में तो करोड़ बांग्लादेशी रह सकते हैं लेकिन हिंदू शरणार्थी नहीं जब तक बहुसंख्यक सोया रहेगा तब तक ऐसे हालात रहेंगे थोड़ी सी जागरूकता के कारण यही सेकुलर विपक्ष मंदिर मंदिर चक्कर लगाता है लेकिन अपनी तुष्टीकरण की नीति के कारण जब भी मौका मिलता है तो अपनी हकीकत बयान कर देता है इस ऐतिहासिक क्षणों बहिष्कार भारतीय भारतीयता के गौरव का बहिष्कार उसे सस्ता नहीं पड़ेगा राजनीतिक रूप से ही 2024 का मंसूबा लगभग पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है और अगर बहिष्कार ही करना है तो संसद की सदस्यता से इस्तीफा देना चाहिए सच्चा बहिष्कार यही है और यह जो हो रहा है यह सिर्फ नाटक जिसे जनता आम जनता अच्छी तरह से समझ रही है किसी भी हालात में किसी को भी अब भारतीय जनता माफ करने के मूड में नहीं है 2014 से इसका भुगतान कांग्रेश कर रही है फिर भी उसे होश नहीं आ रहा है
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