फिलिस्तीन के लिए पाकिस्तानी प्रेम उमड़ रहा है लेकिन अफ़गानों को पाकिस्तान से बाहर ््््््
यह कौन सी सोच है ्््््््
फिलिस्तीन के लिए पाकिस्तानी प्रेम उमड़ उमड़ कर छलक रहा है जिसका नमूना पाकिस्तान के साथ-साथ भारत में भी दिखाई पड़ रहा है लेकिन कई दशकों से पाकिस्तान में रह रहे अफगान नागरिकों को बड़ी बेरहमी से और क्रूरता से बाहर किया जा रहा है ऐसे रवैये से कई प्रश्न खड़े होते हैं की क्या अफगान मुसलमान नहीं है क्या वह मुस्लिम उम्मा के हिस्सा नहीं है हमास के लिए प्रेम उमड़ रहा है लेकिन अफ़गानों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार क्यों इसका विरोध भारत में भी नहीं दिख रहा है 4000 किलोमीटर दूर फिलिस्तीन के लिए प्रेम का सैलाब है यह बात दूसरी है कि जब तक अफ़गानों का प्रयोग होना था तब तक किया गया और जब यूज खत्म हो गया तो बाहर फेंक दिया गया फिर हाल यह पाकिस्तान का नया कारनामा नहीं है जिस फिलिस्तीन के लिए पाकिस्तान आंसू बहा रहा है इसी फिलिस्तीनियों को पाकिस्तान की सेना ने जमकर मार काट मचाई थी ऐसा क्यों होता है जब किसी मुस्लिम उम्मा का मसला है तब कोई समस्या पैदा नहीं होती कहीं कोई विरोध नहीं लेकिन जब गैर मुसलमानों से मसला होता है तब जज्बा उमड पड़ता है यह कौन सी आडियोलाजी है कुछ दिन पहले पाकिस्तान में शिया काफिर अब मोहब्बत बढ़ गई है अब यह भी मसला नहीं है ऐसा दोगलापन पाकिस्तानी आईडियोलॉजी का ही हो सकता है भारत को अत्यधिक सावधान होने की आवश्यकता है
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