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संजू मंथन रिलिजन का जन्म क्यों और कैसे

संजू मंथन
रिलिजन का जन्म क्यों और कैसे
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मानव पाषाण युग से बाहर निकल कर नदियों के किनारे निवास करने लगा कृषि का आविष्कार होने के कारण संस्कृति और सभ्यता का जन्म हुआ ध्यान देने वाली बात है किसी भी सभ्यता और संस्कृति का जन्म होने का प्रमुख कारण होता है भूभाग 
का भूखंड जिस तरह का भूखंड होता है इस तरह की संस्कृति और सभ्यता का जन्म होता है जैसे बर्फीले स्थान पर अलग संस्कृति और सभ्यता का जन्म हुआ वहीं पर पहाड़ी क्षेत्रों में या रेगिस्तानी क्षेत्र में अलग किस्म की संस्कृति और सभ्यता पनपी जीवन यापन कठिन होने के कारण मार काट हिंसा बर्बरता लूटमार प्रमुख विशेषता रही है सबसे बड़ी दुर्गति नारियों और मासूम बच्चों का रहा जो विजित रहा वह पराजित को गुलाम बनाया अनेक प्रकार की कुरीतियों का जन्म हुआ महिलाएं और बच्चे इसके शिकार बने
संस्कृति अर्थात रहन-सहन खान पान वस्त्र विन्यास सब कुछ मिलकर संस्कृति का निर्माण करती है जिस भूखंड में जीवन यापन का जरिया कठिन होता है कृषि उपार्जन ना के बराबर होता है वहां पर जीवन यापन कठिन होता है ऐसे में जन्म होता है बर्बरता का हिंसा मार काट उनके जीवन के हिस्से में शामिल होता है किस तरह से आवश्यकताओं में विकास होता है क्योंकि प्रकृति का प्राकृतिक नियम है निरंतर प्रति
क्षण प्रति पल परिवर्तन लेकिन आवश्यकताओं के अनुरूप परंपराओं रीति रिवाजों रहन-सहन में परिवर्तन नहीं हो पता क्योंकि एक ही तरीके से रहने में मानव स्वभाव से आदी
होता है परिवर्तन के लिए प्रयास लंबे प्रयास की आवश्यकता होती है
अब रहा प्रश्न मजहब रिलीजन पंथ का जन्म भौतिक अभौतिक 
भौतिक का तात्पर्य सामाजिक जीवन जीने के लिए एक व्यवस्था की आवश्यकता होती है जीवन की सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप विभाजन कार्य के आधार पर होता है लेकिन लंबे समय तक एक समान रहने के कारण उसमें कुछ विकृतियों आ जाती हैं आवश्यकता के अनुरूप जब उन विकृतियों को दूर नहीं किया जाता तो समाज में मूढ़ता जडता आ जाता है और समाज के ठेकेदार यह कह लीजिए स्वघोषित समाज के ठेकेदार उसको कायम रखने का प्रयत्न करते हैं जिससे नई व्यवस्था का जन्म लेने का कारण बनता है यह क्रम निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है इसलिए दुनिया में विभिन्न प्रकार के पंथ रिलीजन या मजहब है जिसमें मजहब के नाम पर विस्तार करने के लिए मार काट हिंसा बर्बरता निरंतर चलती रहती है इसके नाम पर सदियों से मानव के प्रति मानव की हिंसा बलात्कार बर्बर तरीके से अपने विचारधारा को विस्तार करने का प्रयास किया जाता रहा है मानव ने मानव की अनगिनत हत्याएं की है युद्ध हुए हैं भीषण विध्वंस हुआ है वर्तमान में भी रिलिजन के नाम पर युद्ध हिंसा बलात्कार हो रहे हैं
रिलीजन में परिवर्तन होते रहे लेकिन यह आसान नहीं होता लंबे समय में परिवर्तन हो पाता है कोई महापुरुष सामाजिक कुरीतियों के प्रति क्रांति करता है वही आगे चलकर रिलीजन बन जाता है रिलीजन एक प्रकार से समाज की आवश्यकतानुसार एक संविधान है उसी के अनुसार भूखंड के भूभाग में जीवन यापन की व्यवस्था होती है
अब प्रश्न उठता है अभौतिक या आध्यात्मिक इसके अंतर्गत एक सुपर पावर की परिकल्पना की गई है यह भी मानव की इंसानी फितरत है मानव जीवन का इतिहास लाखों करोड़ों वर्ष का है इसका जन्म क्रमिक है या कैसे है इस पर अनुसंधान हुए हैं और हो रहे हैं लेकिन लाखों करोड़ों वर्ष से मानव इस पृथ्वी पर रहा है पाषाण युग से आधुनिक युग तक एक लंबी यात्रा रही है कोई सुपर पावर इस दुनिया में इस जटिल रहस्यमई ब्रह्मांड में कोई सुपर पावर या या ब्रह्मांड का डायरेक्टर कोई है या नहीं है यह एक प्रश्न है यदि भारतीय दर्शन का अध्ययन किया जाए तो ऋगुवैदिक काल में इंद्र अरुण वरुण अग्नि देवता प्रमुख देवता थे लेकिन उत्तर वैदिक काल में ब्रह्मा विष्णु महेश प्रमुख देव हैं मानव पाषाण काल से ही अपने अतीत वर्तमान और भविष्य का चरित्र चित्रण चित्रों के माध्यम से करता रहा है प्रकृति ने जिस तरह जीने में सहायता की उसी की उसने पूजा अर्चना की यही से सुपर पावर ईश्वर की परिकल्पना की गई लेकिन यह एक प्रश्न है  अध्यात्म का अर्थ अपने आप का खोज कर लेना तलाश कर लेना ही आध्यात्म की शायद परिभाषा है यदि ऐसा इंसान कर पता है तो यही से ब्रह्मांड के रहस्यों का भेद खुल सकता है फिलहाल यह एक प्रश्न है इस पर अनुसंधान की आवश्यकता है अर्थात कोई सुपर पावर या डायरेक्टर ईश्वर खुदा गाड है या नहीं है यह एक प्रश्न है
रिलिजन एक सामाजिक व्यवस्था है यह आवश्यकता अनुसार परिवर्तित या नवीन व्यवस्था के जन्म लेने की क्रमिक प्रक्रिया है और जब तक मानव इस दुनिया में रहेगा तब तक यह प्रक्रिया चलती रहेगी जिस तरह से पुराना वस्त्र कट फट जाने पर नया हो जाता है इसी तरह रिलिजन भी पुराना होने पर नया हो जाता है भारत में सनातन धर्म अति प्राचीन है लेकिन यह मानव कृत नहीं है इसका जन्म कब हुआ कैसे हुआ यह एक प्रश्न है जिस पर शोध की आवश्यकता है सबसे बड़ी विशेषता इस धर्म की यह है कि आवश्यकता अनुसार परिवर्तन होता रहा है इसलिए अभी तक इस दुनिया में इस धर्म का अस्तित्व है इसके अतिरिक्त अनगिनत रिलिजन का जन्म हुआ होता रहा है भारत में भी सनातन धर्म के अतिरिक्त बौद्ध जैन पंथों का जन्म हुआ यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है मानव जब तक इस पृथ्वी पर उसका अस्तित्व बना रहेगा तब तक यह प्रक्रिया चलती रहेगी

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