कछवां थाना अंतर्गत ट्रक ने ट्रैक्टर को पीछे से मारी टक्कर, इस दौरान तत्काल घटनास्थल पर ही 10 लोगों की दर्दनाक मृत्यु हो गई। तीन लोगों का ईलाज ट्रॉमा सेंटर में हो रहा है। ट्रैक्टर पर 13 लोग सवार थे और सभी वाराणसी के मिर्जामुराद के थे। भदोही में छत ढलाई करके अपने घर को वापस लौट रहें थे।
............... नवरात्र के प्रथम दिन माॅ गंगा महा आरती में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए पिछड़ा आयोग प्रदेश उपाध्यक्ष दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री सोहनलाल श्री माली विंध्याचल माॅ विंध्यवासिनी पक्का घाट पर विन्ध्य विकास परिषद के तत्वावधान में दैनिक गंगा आरती के नवरात्र की महा गंगा आरती के प्रथम दिन मुख्य अतिथि के रूप में पिछड़ा आयोग प्रदेश उपाध्यक्ष दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री सोहनलाल श्री माली सपरिवार शामिल हुए व महा गंगा आरती का शुभारंभ किया गया आरती के पुर्व घाटों को झालरों फुल माला से दुल्हन की तरह सजाया गया था मुख्य अतिथि को गंगा आरती संस्थापक/प्रमुख रामानन्द तिवारी व टीम द्वारा संकल्प व गंगा मैया का विशेष वैदिक पुजन कराकर पांच अर्चकों द्वारा संगीतमय आरती को प्रारम्भ किया गया अर्चक के पीछे एक सौ एक की संख्या में रिद्धि सिद्धि के रूप बच्चियों ने आरती की थाली लेकर आरती उतारी आरती के समय घाट गंगा आरती देखने वाले भक्तों से पटा रहा आरती पश्चात सोहनलाल श्री माली बोले पिछले नवरात्र में गंगा मैया से मन्नत मांगे थे गंगा मैया पुरा कर दी इस बार मंत्री बनाकर बुलाई नवरात्र बाद गंगा आरती को और भव्य रूप दिया जाएगा गंगा आरती में शामिल होकर शक्ति व ऊर्जा मिलती है मन को बहुत सुकून मिलता है जब भी गंगा मैया आरती मे बुलाती रहेगी मैं आता रहुंगा आरती के पश्चात पुरी गंगा आरती टीम द्वारा मुख्य अतिथि जी को अंगवस्त्र व माता का स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया जिसमें गंगा आरती संस्थापक/प्रमुख रामानन्द तिवारी जितेन्द्र मिश्रा प्रशांत उपाध्याय धीरज तिवारी साजन तिवारी आनन्द तिवारी गगन श्री माली बलवंत सिंह हिमांशु मिश्रा रितिक मोदनवाल विश्वनाथ साहू मोहित मिश्रा रमेश जी राम जी माली व हजारों के संख्या में श्रद्धालु भक्त शामिल हुए
...................... सीता स्वयंवर, धनुषयज्ञ देखने के लिए उमड़ा जनसैलाब भगवान श्रीराम द्वारा धनुष का खण्डन होते ही खाली होने लगा रामलीला मैदान दैनिक समाज जागरण संवाददाता ड्रमंडगंज(मीरजापुर)। गुरुवार की रात्रि में ड्रमंडगंज के रामलीला मैदान में सीता स्वयंवर, धनुषयज्ञ देखने के लिए दर्शकों और रामलीला प्रेमियों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। मिथिला नरेश महाराजा जनक ने सीता स्वयंवर के लिए शर्त रखा था कि शिव धनुष का खण्डन करेगा उसी के साथ सीता का विवाह होगा। देश -विदेश से राजागण धनुष तोड़ने के लिए आये थे। कोई भी वीर पुरुष शिव धनुष को हिला नहीं सका। लंकापति रावण भी सीता स्वयंवर में आया था। पहले तो रावण-बाणासुर का संवाद हुआ। उसके बाद रावण धनुष उठाने का प्रयास किया किन्तु रावण का शिव धनुष के हाथ दब गया। रावण ने शिव और ब्रह्मा जी से सहायता मांगी किन्तु वे दोनों देवता रावण की सहायता करनेत से इन्कार कर दिये।अन्त में रावण ने भगवान विष्णु को पुकारा। भगवान विष्णु ने रावण की सहायता की।रावण जब दोबारा शिव धनुष की ओर बढ़ रहा था तभी आकाशवाणी हुई कि ऐ रावण तुम्हारे लंका में आग लगी है। रावण जाते-जाते कह गया कि सीता तुम्हें एक बार लंका अवश्य दिखाउंगा। जब महाराजा जनक को यह आभास हो गया कि कोई भी वीर पुरुष शिव धनुष को हिला तक नहीं पायेगा तो उन्होंने सभी राजाओं अपने -अपने देश वापस जाने को कहा। मुनि विश्वामित्र के स्वयंवर, धनुषयज्ञ देखने आये राम-लक्ष्मण को महाराजा जनक का यह अपमान सूचक शब्द अच्छा नहीं लगा और लक्ष्मण ने क्रोधित होकर कहा कि यह धनुष तो बहुत छोटा है। यदि भगवान श्रीराम का आदेश मिले पूरा ब्रह्माण्ड उठा लूंगा। मुनि विश्वामित्र ने श्रीराम को महाराजा जनक के संताप को मिटाने का संकेत किया। श्रीराम ने मुनि विश्वामित्र को मन ही मन में प्रणाम कर शिव धनुष का खण्डन किया। सीता ने श्रीराम के गले में जयमाल डाला। शिव धनुष के टूटते ही रामलीला मैदान खाली होने लगा।
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